इश्क है साहब -----◆●•••• (2)

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क्या ही कीजे जो हिज्र की रात है इश्क में सुकून से जी लेना कुफ्र है......... जुनून तो बस डूब जाने का है निगाहें यार की सलामत है, शुक्र है....... --------◆●••• ...

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