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छोड़ अपना नीड़ मैं आँगन में तुम्हारे आई हूँ तुमको सादर अर्पित करने अस्तित्व मेरा ले आई हूँ। तुमने मुझको आधार दिया घरबार दिया सत्कार दिया मेरे एकतरफा जीवन को नूतन ...