लेखनी प्रतियोगिता -28-Aug-2022 - ग़ज़ल

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इश्क के इज़हार का गुनाह कर गए, राहें मंजिल को तेरी पनाह कर गए। झूम कर निकली जो पगली पवन, रास्तों को हम वहीं फनाह कर गए। बोलियां जो लगी थी ...

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