1 Part
286 times read
14 Liked
दया धाम करुणा की मूरत सभ्य सरलता जिनमें दिखते बाहर से कठोर पर,स्निग्ध तरलता उनमें। सदा नम्र कठोर पर्वत सम तेज सदा मस्तक पर , गुणी गण्य गुणवान महत जो ज्ञान ...