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थे गुर्जर-प्रतिहार के, सम्राट मिहिर भोज तेज चमकता सूर्य सम, मुखमण्डल पर ओज ‘आठ सौ पचासी’ तलक, रहा आपका राज ‘आठ सौ छत्तीस’ बने, मिहिर जी महाराज उत्तर में थी नर्मदा, ...