स्वस्थ भारत

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कविता:  स्वस्थ भारत  भारत भूमि उद्घोषक है, सर्वे संतु निरामया। सतत जगत हित में रत, है अपराजया ।(1) यही योग की जननी, प्रचारक आसन प्राणायाम की। यही महत्ता सिखलाती है, मेहनत ...

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