लेखनी - हम..

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हम... आंखों में एक समंदर लिए , चल रहें हैं हम, जिंदगी के इन लम्हों में, यूं ही, खाली बीत रहें हैं हम, जाने कब छलक जाए, इन आंखों में भरा ...

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