लेखनी प्रतियोगिता -01-Sep-2022

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जब आंखे निर्झर बहती हैं मानवता भी कुछ कहती है जब कोई निर्बल रोता है आशा का सम्बल खोता है विश्वास की नगरी ढहती है मानवता तब कुछ कहती है। जिसकी ...

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