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शब्द सिकुड़ गए ,, मैंने पाया मेरे शब्द अब पहले जैसे नहीं रहें, वो ठोकर से दूर भागने लगे हैँ, किसी उलझन को सच्च मानकर, झूठ को सच्च साबित करने लगे ...