लेखनी प्रतियोगिता -02-Sep-2022

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चाहकर भी कभी उसकी खामोशी ना समझ पाए, मुस्कुराहटों में छिपी उनकी उदासी ना समझ पाए । समझदार होकर भी हम नासमझ ही रह गए, बेबसी हो मजबूरियों में ये जुदाई ...

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