कविता ःःचेहरा तुम्हारा

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कविता ःःचेहरा तुम्हारा 🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃 चेहरा तुम्हारा चांद का जैसे हो टुकड़ा उसपर तुम्हारी ये मासूमियत जैसे..निर्झर बहती पानी की लहरें तुम्हारी आवाज कोकिल की कूक सी एक आदाब हो तुम जैसे ...

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