सोजे-ए-वतन--मुंशी प्रेमचंद

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यही मेरा वतन मुंशी प्रेम चंद आज पूरे साठ बरस के बाद मुझे अपने वतन, प्यारे वतन का दर्शन फिर नसीब हुआ। जिस वक़्त मैं अपने प्यारे देश से विदा हुआ ...

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