सोजे-ए-वतन--मुंशी प्रेमचंद

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यही मेरा वतन मगर जिस वक़्त बम्बई में जहाज़ से उतरा और काले कोट-पतलून पहने, टूटी-फूटी अंगे्रजी बोलते मल्लाह देखे, फिर अंगे्रजी दुकानें, ट्रामवे और मोटर-गाडिय़ाँ नज़र आयीं, फिर रबड़वाले पहियों ...

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