सोजे-ए-वतन--मुंशी प्रेमचंद

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शोक क आह! क्या मैं इसी लडक़ी के साथ ज़िन्दगी बसर करने पर मजबूर हूँगा? .... इस सवाल ने मेरे उन तमाम हवाई क़िलों को ढा दिया जो मैंने अभी-अभी बनाये ...

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