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अपनापन कतरा कतरा खत्म हुआ, यह क्या भाई मेरे ज़ुल्म हुआ? दिखावा छाया अब चेहरों पर, नकाब पहना सबने रिश्तो पर। पैसे को सबने अपना बनाया, पैसे वालों ने ही जग ...