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पहले वाली मौज ना है, ना परिवारों में हंसी ठिठोली, गिल्ली डंडा, छुपन छुपाई, खेलती बच्चों की टोली। कितना सुख मिलता था तब, घर के स्वादिष्ट खाने का, अलग ही मजा ...