1 Part
319 times read
17 Liked
पूछो ही मत ग़ज़ल से क़ीमत शबाब की ! सहरा में अब खिलेंगी कलियाँ गुलाब की !! भड़की हुई ये आग है शायर के ख़्वाब की ; भड़केगी ...