मानसरोवर--मुंशी प्रेमचंद जी

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घरजमाई--मुंशी प्रेमचंद 3 हरिधन तो उधर भूखा-प्यासा चिन्ता-दाह में जल रहा था, इधर घर में सासजी और दोनो सालो में बाते हो रही थी। गुमानी भी हाँ-में-हाँ मिलाती जाती थी। बड़े ...

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