मानसरोवर--मुंशी प्रेमचंद जी

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ठाकुर का कुआँ मुंशी प्रेम चंद 1 जोखू ने लोटा मुँह से लगाया तो पानी में सख्त बदबू आयी । गंगी से बोला- यह कैसा पानी है ? मारे बास के ...

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