लेखनी कविता -05-Sep-2022

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गुरू ज्ञान का सागर होता जितना डूबो उतना ही पाता गुरू शिष्य संग दीपक सम जलता ज्ञान से जग को प्रकाशित करता मैंने माँ को अपना गुरू माना माँ को मैंने ...

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