मानसरोवर--मुंशी प्रेमचंद जी

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शांति-1 मुंशी प्रेम चंद सुन्‍नी मुंह फेरकर हंसती हुई चली गई। मां की दुलारी लडकी थी। जिस दिन वह गहस्‍थी का काम करती, उस दिन शायद गोपा रो रोकर आंखें फोड ...

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