मानसरोवर--मुंशी प्रेमचंद जी

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माँ---मुंशी प्रेमचंद श्रावण की अँधेरी भयानक रात थी। आकाश में श्याम मेघमालाऍं, भीषण स्वप्न की भाँति छाई हुई थीं। प्रकाश रह-रहकार आकाश की ओर देखता था, मानो करुणा उन्हीं मेघमालाओं में ...

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