मानसरोवर--मुंशी प्रेमचंद जी

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बड़े भाई साहब मुंशी प्रेम चंद 3 दैव न करें, आज मैं बीमार हो आऊं, तो तुम्‍हारे हाथ-पांव फूल जाएगें। दादा को तार देने के सिवा तुम्‍हे और कुछ न सूझेंगा; ...

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