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बेटों वाली विधवा मुंशी प्रेम चंद अपने विचार में उसने काफ़ी तंबीह कर दी थी। शायद इतनी कठोरता अनावश्यक थी। उसे अपनी उग्रता पर खेद हुआ। लड़के ही तो हैं, समझे ...