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कविता--हिंदी मैं और तुम साथ साथ आओ हिंदी तुम्हारा हाथ पकड़कर मैं भारत की सैर करुं नहीं रहा वह डर अब जो पहले हुआ करता था हिंदी बोलने पर घृणा का ...