हिंदी दिवस की कविताएं

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कविता --साहित्य की धारा  कल कल कर बहती धारा,  कहीं नहीं है इसका किनारा,  हर लहरों पर मौजों का अनंत प्रवाह  है इसके भीतर खजाना अथाह  कविता ,छंद क्षणिका, दोहे हो ...

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