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भरा नहीं जो भावों से ना दिल में जिसके प्यार है छल प्रपंच नित बेच रहा जो धूर्त और मक्कार है "मतलब" जिसका धर्म है "बेइमानी" है जिसकी जाति "लंपटता" के ...