1 Part
302 times read
20 Liked
भरा नहीं जो भावों से ना दिल में जिसके प्यार है छल प्रपंच नित बेच रहा जो धूर्त और मक्कार है "मतलब" जिसका धर्म है "बेइमानी" है जिसकी जाति "लंपटता" के ...