270 Part
52 times read
1 Liked
गुल्ली-डंडा मुंशी प्रेम चंद 1) एक दिन मैं और गया दो ही खेल रहे थे। वह पदा रहा था। मैं पद रहा था, मगर कुछ विचित्र बात है कि पदाने में ...