जज़्बात मुकम्मल कर दो

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प्रतियोगिता हेतु मेरे भड़के हुए जज़्बात मुकम्मल कर दो। जो अधूरी है अभी बात, मुकम्मल कर दो।। रोज छिप छिप के बहाए हैं जो मैंने अब तक। आज अश्कों की  वो ...

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