११- जन एकता की भाषा हिंदी- रचना ११

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एक दिन यूंही बर्बाद हो जाएंगे हम  आदमी से बस याद हो जाएंगे हम उसके दिल के कैदी रहते रहते दूनिया से आज़ाद हो जाएंगे हम  आपके सुलूक का यहीं अंजाम ...

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