पिता का समर्पण

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कभी जो शांत होके मन का दर्पण देखा माँ का त्याग और पिता का समर्पण देखा। वो मरके भी कभी औलाद से जुदा न हुआ यहां माँ बाप से बढ़के कोई ...

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