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कविता ःःबिखरते जज्बात ********************** गमों की शमा बस यूं ही पिघलती रही अश्कों के मोती नश्तर बन चुभते रहे लफ्ज़ खामोशी से बस जलते रहे जज्बात आंधियों में बस बिखरते चले ...