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घासवाली मुंशी प्रेम चंद चैनसिंह ने आश्वासन दिया- छीलती क्यों नहीं? मैं तुमसे कुछ कहता थोड़े ही हूँ। यहीं रोज चली आया कर, मैं छील दिया करूँगा। मुलिया चित्रलिखित-सी बैठी रही। ...