1 Part
291 times read
20 Liked
मुक्तक उसकी मासूमियत पर हम जां निसार कर बैठे एक हसीन कातिल से यूं बरबस प्यार कर बैठे होठों पे उसके खिलती है मुस्कान की क्यारियां शोख अदाओं पे "हरि" दिल ...