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मुक्तक उसकी मासूमियत पर हम जां निसार कर बैठे एक हसीन कातिल से यूं बरबस प्यार कर बैठे होठों पे उसके खिलती है मुस्कान की क्यारियां शोख अदाओं पे "हरि" दिल ...