आकर भव का भार

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दोहा कान्हा तेरे धाम की, बड़ी अनोखी रीत। बहती है बृजधाम में, गलियों गलियों प्रीत।। माखन मिश्री के लगें, मिलें वहां अम्वार। हर गोपी अरु ग्वाल के, मन में बसता प्यार।। ...

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