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प्रतियोगिता हेतु एक भरोसा छला गया। रस्ते से गुजरा सैनिक तो, उसे खड़ी लाचार मिली। मुरझाया चेहरा था उसका, थकी हुई एक नार मिली।। उम्मीदों का अपने मन में, वह पाले ...