मानसरोवर--मुंशी प्रेमचंद जी

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अनुभव मुंशी प्रेम चंद पर मुझे खटका हो गया। उस शंका को किसी तरह दिल से न निकाल सकती थी। वह एक चिनगारी की भाँति हृदय के अंदर समा गयी थी। ...

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