मानसरोवर--मुंशी प्रेमचंद जी

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सुभागी मुंशी प्रेम चंद 5 रामू को गाँव भर ने समझाया; पर वह अंत्येष्टि करने पर राजी न हुआ। कहा, जिस पिता ने मरते समय मेरा मुँह देखना स्वीकार न किया, ...

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