मानसरोवर--मुंशी प्रेमचंद जी

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सुभागी मुंशी प्रेम चंद  तीन साल तक सुभागी ने रात को रात और दिन को दिन न समझा। उसकी कार्य-शक्ति और पौरुष देखकर लोग दाँतों तले उँगली दबाते थे। दिन भर ...

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