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शिकार मुंशी प्रेम चंद वसुधा ने थकी हुई, रुआँसी आँखो से खिड़की की ओर देखा। बाहर हरा-भरा बाग था, जिसके रंग-बिरंगे फूल यहाँ से साफ नजर आ रहे थे। और पीछे ...