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कविता ःःभरोसा ~~~~~~~~~~ ये दुनिया बस है इक छलावा मोह ,माया और झूठा दिखावा झूठे सुख और वैभव को तरसे मृगतृष्णा केभटके मृग के जैसे इस उबलते संसार से पार लगा ...