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शिकार मुंशी प्रेम चंद वसुधा बड़ी देर तक बैठी उदास आँखो से यह दृश्य देखती रही। फिर टेलीफोन पर आकर उसने रियासत के मैनेजर से पूछा, "कुँवर साहब का कोई पत्र ...