हिंदी दिवस की कविताएं

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कविता--पतझड़ कोने का वह ठूंठ आज भी खड़ा है वहां उम्मीद आसमान से कभी तो होगी हरियाली उसमें भी, हवा रुखी सी चली साँसों में धूल चली धूल के गुबार में ...

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