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कविता-- जन्म जरा और मृत्यु मृगमरीचिका है यह संसार नहीं है कुछ भी इसका आधार। मायमोह के बंधन सारे कटते नहीं ये बंध प्यारे। इस जहाज के पंछी को उड़ जाना ...