गाँव

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गांव अब नहीं रहे  पहिल जैस गांव।  होऊं अब नहीं रही पेड़वन की छांव।। ना लगै चौपाल ना होय घर दुआरा। ना रहा् वो प्रेम ना रहा कोऊ भाईचारा।। सूखि गए ...

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