१७- जन एकता की भाषा हिंदी- रचना १७

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चूमने के लिए फक्त उसकी तस्वीर ही काफ़ी है शख्स नहीं रूठने के लिए बस तकदीर ही काफ़ी है लोगो ने खामखा मंज़िल को इतनी तवज्जो दे रखी है तजुर्बा ये ...

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