१८- जन एकता की भाषा हिंदी- रचना १८

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कोशिश में ही कोई कमी रह गई होगी यूंही नहीं आंखों में नमी रह गई होगी क्यूं नहीं आता किसी और का ख्याल जहन में जरूर गुलामी रह गई होगी खुदा ...

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