टूट कर बिखर रहा हूँ मैं

1 Part

372 times read

15 Liked

किसी  की  यादों  से  अब  निखर रहा हूँ मैं, रोज़ क़तरा-क़तरा टूट कर बिखर रहा हूँ मैं। कुछ  अश्क़  दिये हैं, उन्होंने  मुझे  तौफे में, उन  अश्क़ों  से आज-कल  सबर रहा ...

×