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किसी की यादों से अब निखर रहा हूँ मैं, रोज़ क़तरा-क़तरा टूट कर बिखर रहा हूँ मैं। कुछ अश्क़ दिये हैं, उन्होंने मुझे तौफे में, उन अश्क़ों से आज-कल सबर रहा ...